Thursday, 5 December 2019

सहरियत तरमीम कानून 2019

ये है हिंदुस्तान की प्रस्तावना।

हम भारत के लोग,भारत को सम्पूर्ण प्रभुत्व- समपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य के लिए तथा उस के समस्त नागरिकों को,
सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक न्यय,
विचार अभिव्यक्ति, विश्वास,
धर्म और उपासना की स्वतंत्रता,
प्रतिष्ठा और अवसर की समाता प्राप्त करने के लिए,
तथा उन सब में,
व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र
एकता सुनश्चित करने वाली बंधूता
बढ़ाने के लिए
दृढ़ संकल्प हो कर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख
26 नवंबर 1949 ई° को (मिती मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी,  संवत् दो हजार छ वित्रीमी) को ए त द द्वार इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियामित और आत्मा प्रमित करते हैं।

किसी भी मुल्क की बुनियाद होती है उस का आइन। वो एक ऐसा दस्तावेज होता है जिस के जरिए वो मुल्क चलता है। जिस मुल्क में उस के आइन पर अमल नहीं होता है वहां के आवाम ना सिर्फ एक दूसरे से नफरत करते है बल्कि तरक्की तो दूर जो उसके पास होता है वो भी ख़तम हो जाता है, सबसे पहले जो चीज होती है वो है कानून के खिलाफ चलना, उस के बाद आता है लूट मार होना वगैरह।

आज जब टीवी पर न्यूज एंकर संविधान की बात करने के लिए डिबेट करते हैं तो ऐसा लगता है कि मुसलमान एक ऐसा मजहब है जो दुनिया में हो रही तमाम आफतों को पैदा किया है लेकिन वो भूल जाता है कि,

1. दुनिया में पहला world war जिस मुल्क की वजह से शुरू हुआ वो कोई मुस्लिम मुल्क नहीं था।

2. दूसरा world war जिस मुल्क ने शुरू किया वो भी मुस्लिम मुल्क नहीं था

3. जापान पर को न्यूक्लिअर बम गिरने वाला मुल्क भी मुस्लिम मुल्क या मुसलमान नहीं था।

4. वो ये भूल जाता है हिंदुस्तान के दोनों वज़ीर आजम को मारने वाला भी मुसलमान नहीं था।

5. वो ये भूल जाता है पंजाब के वज़ीर आला के कातिल कौन थे।

6. वो ये भूल जाते हैं #गांधी_जी को मारने के बाद जो अफवाह उरई वो थी की मारने वाला मुस्लिम है, लेकिन हकीकत दुनिया जानती है कि वो कौन था।

7. वो ये भूल जाते है कि हिंदुस्तान सिर्फ कश्मीर है आतंक वाद से परेशान नहीं है बल्कि झारखंड, आसाम, ओडिसा, छत्तीसगढ़ नागालैंड, पछमी बंगाल, और मणिपुर वगैरह में जो है उस को नक्सलवाद कहते हैं और उस को करने वाले किस मजहब को मानते हैं।

मजहब किसी को भी मुश्किल में डालने के लिए नहीं बना है चाहे वो किसी भी मजहब को मानता हो, हर मजहब में एक बात है जो है की दुनिया में जो भी है उस की इज्ज़त करें।
#इस्लाम में तो ये कहां गया है कि अगर कोई एक बे गुनाह का क़त्ल करता है तो ऐसा है कि उसने पूरी इंसानियत का क़त्ल किया।
इस्लाम में एक और बात कही गई है कि अगर आप का पड़ोसी आप से परेशान है तो आप की कोई इबादत  अल्लाह को काबुल नहीं होगी।

जब आप का नजरिया तंग होगा तो आप हर उस को गलत समझेंगे जो आप से एतफाक़ नहीं रखता होगा।

अगर आप हकीकत में अपने मुल्क से मुहब्बत करते हैं तो आइन की भी क़दर करें, और उस आइन की रूह ही है एक ऐसा मुल्क जहां सब कि लिए जगह है बिना किसी मजहब, जात, रंग, ज़बान और हैसियत के।

#शहरियत कानून में जो तरमीम किया जा रहा है वो इस मुल्क के आइन के खिलाफ है बाकी जब आप के पास मेंबर ज्यादा होते हैं तो आप मनमानी तो करेंगे ही। सवाल ये है कि को पार्टी मुल्क के आइन की बात करते हैं वो कितना इस मुल्क की आइन की खिलाफवर्जी पर ना सिर्फ सवाल उठाते है बल्कि संसद से बाहर एहताजाज करते हैं।
#Note- कॉमेंट में देखें कैसे कैसे कॉमेंट आते हैं।
जय हिन्द।। हिंदुस्तान ज़िंदाबाद।।

#RethinkOnCAB #SaveConstitution

 


1 comment:

हरीश साल्वे की राय

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