जो समाज के लोग घूस देते है अपने से काबिल इंसान की जगह अपना काम करवाने के लिए, जो लोग गरीबों के लिए कभी ना खरा होता है जो समाज किसान के लिए कभी बोला ना हो जो समाज पैसे कि वजह से बच्चों के मरने पर भी मारने वाली पार्टी को जिताया हो, जो समाज मासूम बच्चों से घर में गुलामों के जैसे काम करवाता हो और अनगिनत इस तरह के समाज में गलत पर चुप हो वो पुलिस के एनकाउंटर पर खुश है
सवाल दूसरा भी है कि आखिर पुलिस के इस काम के बाद समाज में को जोश और अदालत को दूसरे दर्जे में रख रहे हैं क्या ये सच है तो बेटी, बहन की इज्ज़त इतनी बर्बाद कैसे हो रही है।
जब पुलिस कि गाड़ी और पुलिस थाने में बेटियों की इज्ज़त बर्बाद होती है तो तब कितने लोग इस गुनाह की सजा दिलाने में आगे आते हैं।
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